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मुझको तो सिर्फ़ इसी बात पे मर जाना था (रुबाइ)





मुझको  ये  भी   न  था 
मालूम किधर जाना था! 
उनको  हर  रंग  में   हर
तौर   संवर  जाना   था!! 
हुस्न  का   ग़म भी हसीं, 
फ़िक्र   हसीं,  दर्द   हसीं ;
मुझको  तो   सिर्फ़  इसी
बात  पे  मर  जाना  था!! 
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14 Comments

Virendra Pratap Singh

09-Oct-2022 07:33 AM

बहुत बहुत धन्यवाद आंचल जी.

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Milind salve

07-Oct-2022 05:16 PM

बहुत खूब

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Virendra Pratap Singh

09-Oct-2022 07:34 AM

बहुत बहुत धन्यवाद मिलिन्द भाई.

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Khan

06-Oct-2022 11:21 PM

Bahut khoob 🙏

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Virendra Pratap Singh

07-Oct-2022 04:14 PM

बहुत बहुत शुक्रिया ख़ान साहब.

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